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वीं सबैर कबी त आली



वीं सबैर कबी त आली

वीं सबैर कबी त आली, वीं सबैर कबी त आली ,
इनी काली सदी का मुंड से , जबै राती कू साफा फुंडा जालो
जबै आकश झूम कै नाचेली , जबै धरणी गीत गैली
वीं सबैर कबी त आली, वीं सबैर कबी त आली ,

जी सबैर का खातिर जुग - जुग भतेक,
हम सबै मोरी -मोरी की जीण छा,
जी सबैर की अमृत की धुण मा ,हम जहरी का प्याळ पीण छा,
इनी भूखी तीसी जिकोडी मा ,एक दिनी तो म्याल्दु वहाली
वीं सबैर कबी त आली, वीं सबैर कबी त आली ,

माना की अबै तक मेर मनसा की , कीमत कुछ ऩा
माटू कू भी च यख कुछ मोळ मगर ,
आदम कू यख क्वी मोल ऩा ,
आदम की लज्जा जबरी खोटी टक्कों मा ऩा तोली जाली
वीं सबैर कबी त आली, वीं सबैर कबी त आली ,

टक्कों बाण जबै बेटी ब्वारी की ,लाज थै ऩा इनी बैची जाली,
प्रीत थै जबै ऩा इनी मसलू जालू , खुदेरी थै ऩा बैची जली ,
आपडी काली करतुते पै, जबै ऐ दुनिया खुदै लजैली ,
वीं सबैर कबी त आली, वीं सबैर कबी त आली ,

बिता ला कबी त ऐ दिन अखेरी , ये भूक ऐ बेकारी का
टूटा ला कबी त बुत अखेरी , टक्कों की ऐ तिमरदरी मा
अबै एक आजाण दुनिया की , जबै बुनियाद उठै जाली
वीं सबैर कबी त आली, वीं सबैर कबी त आली ,

लाचार बुढुप जबै सुण , बाटों मा धुल णी धोलोलो
नाना बालपन जबै घिन , गोल्यों मा भीक ऩा मंगलो
हक मंगाण वालों थै, जै दिनी सूली ऩा दिखै जैली
वीं सबैर कबी त आली, वीं सबैर कबी त आली ,


एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

चित्रपट फिर सुबह होगी
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
हिन्दी गाने का ये का गढ़वाली बोळ संस्करण

बालकृष्ण डी ध्यानी
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