वो आजार
नी जण नु मी क्या बात च
वीं आंखी मा वीं आंखी मा
अब मेरु दिनी रात च
नी जण नु मी वैह क्या आज च
बिसरी ग्युं मी मेरु घारा को आज बाट च
वींका डेरा मा मेरु डेरा आज च
कुदगली लगान्दी इन कनुडी मा
जिकोड़ी मा छुंई की आज छयूँ उल्ल्यार चा
मीथै पैली बार चढ़यूँ प्रीती कू ताप चा
कंण चढ़यूँ उत्तरणु भी नीच आज यार च
वो स्वाणी मुखडी ही मेरी दवै आज
जिंका बाण छायूँ ऐ छाब्लाट च
नी जण नु मी क्या बात च
वीं आंखी मा वीं आंखी मा
अब मेरु दिनी रात च
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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