बगती जाली बोई गंगा
वख भतेक निकली गंगा धार
वख शिवजी नी जाटों मा धार
भागीरथी कु चा ये तप कू प्रताप
माँ गंगा जी ऐ अपरा घार
ऊँचा ऊँचा हिमाला ऐ पहाड़
गड़ा गदनियूं थै दे वैल बाट
पिताजी छन हमरु हिमाल
बेटी थै उन अंग्वाल मा धारा
माँ जयती जयती माँ
सारु गुंजो कुमो गढ़वाल
हरलो कैगै गढ़ कु डंडा धार
बोई भगोती तेरु उपकार
सदनी रै ऐ छाल पल छाल
जुग जुग तक रयां तेरु घार
जगी जावा मेरु कुमो गढ़वाल
ना तर रुउडी जाली वो धार
बोई अपरी गंगा आपरा घार
तब सोचा क्या होला तुम्हरा हाल
बगत च अब भी पैल तू भी जाग
आपर लोगों थै अब तू जगा
ऋणी रालो सरू हिन्दुस्थान
पीडी दर पीडी करली तेरु गुण गान
देवभूमि उत्तराखंड कू मान
जुग जुग बगती रै बोई गंगा धार
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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