लेखी छा
लेखी छा जो पत्री तिथे
वो त्यारा खुद मा
हजार रंग का
नजारा बण गैनी
फजल जब होंदी
तबै फुल बण गैनी
जबै राती ऐगयाई
सितारा बण गैनी
कख क्वी गीत लगाणू , जिकोडी बोली तू ऐई
कख चटकै कली क्वी , मी ये समझी तू लज्जेई
क्वी खुसबू कख बिखरे , लागू तेर लटुली लहरेई
रंगत छा बहारे की खेल छा रंगों का , वो शरमाणू वो मुरडणू
वीं अंगडेई वीं एकलोपन मा, इनी तरसे की त्यारु जाणू
बाणा दे णा ऊ मीथै , योवन जादू बोऊल्याई
जख तू वख मी छों, मेर जिकोडी की धक धक छे तू
यात्री मी तू ठिकाणू मेरु , मी तिसलू तू सौण छे
मेर दुनिया तेर आंखी छ, मेरु सरग ऐ बयाँ छन
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
चित्रपट :कन्यादान लिखे जो ख़त तुझे
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
हिन्दी गाने का ये का गढ़वाली बोळ संस्करण
बालकृष्ण डी ध्यानी
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