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वींसे



वींसे

वींसे कुछ णा
कुछ णा बोला जी
बुरो मान जाली वा रूशे जाली
मेरी जिकोडी प्रीत डाली
वा मोली जाली
वींसे कुछ णा
कुछ णा बोला जी

ऐ स्याली ऐ
मेर आंखी स्याली
तू अग्ने व्है जादी ,तू ब्चोंदी तू मनोदी
मेरे प्रीत थै तू फूलों दी
वींसे कुछ णा
कुछ णा बोला जी
बुरो मान जाली वा रूशे जाली

स्याली आंखी देख्दी रै
तेर जिकोडी दीदी थै कुछ ना सुणे
गीचो दीदी तू चुप ही रै
आंखी स्याली छुईं रुशे जाली
जिकोडी बोऊ कंन मणाली
वींसे कुछ णा
कुछ णा बोला जी
बुरो मान जाली वा रूशे जाली

हाथ दीदा इशारु कै
कनुडी दीदी थै कुछ णा सुणे
खुठी दीदा बल खूब हिठे
प्रीत थै मेर माणुणे सबै ऐ
जिकड़ी जी मेर णा मणे
वींसे कुछ णा
कुछ णा बोला जी
बुरो मान जाली वा रूशे जाली
वींसे कुछ णा
कुछ णा बोला जी ...३
मेर आंखी स्याली लगी रै

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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