सबै लुकी गैन
कखक लुकी गैन
पक दूध से भ्र्याँ
वो कांस्या का ग्लास
देखले संस्क्रती हास
सब यख लाचार
कखक लुकी गैन ..२
कखक लुकी गैन
वो शिष्टा चार वो सत्कार
ठंदु मीठू पाणी वो
मीठा मीठा अपरा लगदा बोल
वो घुघूती का घोल
कखक लुकी गैन ..२
कखक लुकी गैन
मील जुली का व्यहार
वो तीज वो त्योंहार
बड़ा -बड़ों का आदार
वो मान सन्मान
कखक लुकी गैन ..२
कखक लुकी गैन
बिकी जानी च आज
ढँकी चा जो लोक लाज
वहैगे अब सरै आम
वो मेरा माट का कूड़ा
कखक लुकी गैन ..२
कखक लुकी गैन
वो अपरा लोक
वो कुमो-गढवाला
वो गढ़ भाषा
वो मेरा पहाड़ा
कखक लुकी गैन ..२
कखक लुकी गैन
पक दूध से भ्र्याँ
वो कांस्या का ग्लास
देखले संस्क्रती हास
सब यख लाचार
कखक लुकी गैन ..२
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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