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छलका



छलका

छलका जो आँखों से
वो आंसूं हूँ मै....२
छलका जो आँखों से .......

झिर झिर झरता रहा
वो बेकाबू हूँ मै.....२
छलका जो आँखों से .......

रोके ना रोक सका मै
पलकों की बांध तोड़ कर मै बहा
छलका जो आँखों से .......

प्रेम की मौजों का
वो टूटा सागर किनार हूँ में
छलका जो आँखों से .......

इंतजार का हद का
बिखरा हुआ वो सहारा हूँ मै
छलका जो आँखों से .......

छलका जो आँखों से
वो आंसूं हूँ मै....२
छलका जो आँखों से .......

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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