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मै था ही नही



मै था ही नही

मै कंही नही था यारो
यंही नही था यारो
कंही यंही में यारो
गुमसुम सा गुम था यारो
मै कंही नही था यारो ...............

आवाज किसने लगाई
किसने मुझे पुकारा
पुकार के खो सा गया
वो गुमसुम मेरा साया
मै कंही नही था यारो ...............

बैठा था उस पेड़ तले
पेड़ तले बंधे थे वो सपने
सपनों में मै था खोया
या खोये थे मेरे सपने
मै कंही नही था यारो ...............

आया वो गया यंहा से
बुनकर जीने था मैंने रखा
एक एक वो है छुटा मुझसे
जिनको रखा था बुनकर
मै कंही नही था यारो ...............

मै कंही नही था यारो
यंही नही था यारो
कंही यंही में यारो
गुमसुम सा गुम था यारो
मै कंही नही था यारो ...............

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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