कितना ?
कितना
आज लाचार हूँ
मै बेबस हूँ
बस देखता हुआ
देखता हूँ
अपनो को
अपने सामने लुटाता
यूँ ही टूटता हुआ
कितना
आज लाचार हूँ
मै बेबस हूँ
मूक हूँ मै खड़ा
हदसा होते रहे
बस मोमबती जला
दो आंसूं आंख से गिरा
किधर तू चला
कितना
आज लाचार हूँ
मै बेबस हूँ
कैसे सब सह रहा
चुपचाप निश्ब्ध सा
ये दिल धडक रहा
हदसा होने के बाद
वो मुझे बेच रहा
कितना
आज लाचार हूँ
मै बेबस हूँ
बस देखता हुआ
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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