छोड़कर गया जब मै
छोड़कर गया जब मै
टूटकर कर गया उस जगह से
आज भी टूटा हुआ हूँ वंही
आपनो से रूठा हुआ हूँ वंही
सिवा उसके कुछ नही है
बिना उसके मै ही नही हूँ
अब भी धडकता है वो
जो टूटकर गिरा था जंहा
ढुंढने आया था उसी जगह
पडा हुआ था मै उसी तंरह
चंद आंसूं गिरे थे फूलों के साथ
वो लहमे गुजरे औरों के साथ
टूट कर चूर चूर हुआ मै
बस बहुत दूर बहुत दूर हुआ मै
अपने से और अपनो से
छोड़कर गया जब मै
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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