सुस्त कदमों से, मै चला था ...३
कोई रोक लेगा मुझको दिल को मला था
सुस्त कदमों से..............
कुछ देर चलकर, मै मोड़ा था ...३
इस खयाल से अनजानी राहों जाने से कोई मोड़ लेगा
सुस्त कदमों से................
इतना ढीला ढाला, मै कभी ना हुआ था
जब तेरे दर से आज मै खफा होकर चला था
सुस्त कदमों से................
निठला कहा था, मैने ताना सुना था ...३
लापरवाह सा मंथर मै मंदगति से चला जा रहा था
सुस्त कदमों से................
परवाह थी मुझे भी, मै बेपरवाह सा चला जा रहा था...३
आहिस्ता से अनचाही मंजील की ओर मै बड़ा जा रहा था
सुस्त कदमों से................
सुस्त कदमों से, मै चला था ...३
कोई रोक लेगा मुझको दिल को मला था
सुस्त कदमों से..............
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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