हिंदी को ना आजादी मिल पाई है
देखने गया जब मै
हिन्दुस्थान को आज
तू दिखा कुछ ऐसे मुझे
मेरे नजरों के पास
हिंदू ही हिंदू पे अब
उंगली ताने बैठा है
कुछ सुर लगे उसके तो
वो अब गाने बैठा है
हिंदी को भुला कुछ ऐसे
अंग्रेजी गीत वो गाने लगा है
माँ कब मम्मी बन गयी
पिताजी हो गये फादर हैं आज
हिंदी शिक्षा कंहा गुम हो गयी
अंग्रेजी पाठशाल का पकड़े हाथ
आज खुद अपना फादर
उसे बस उस सुनहरे भविष्य तलाश
अपने राज्यों को क्या कहने
हिन्दी पर होती रोज यंहा लड़ाई है
हिंदी विषय वैकल्पिक तौर पर शिक्षा
यंहा कक्षा कक्षा पड़ाई जाती
हिन्दुस्थान मै आज
हिंदी अब बेघर नजर मुझे आती है
आजादी मिली है हमे अंग्रेंजों से
हिंदी को ना आजादी मिल पाई है
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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