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माया चैत की



माया चैत की

फूलों मा लगी रै माया चैत की
खुद मा लगी वहाली ऊ घुघूती मैत की ..२

फूलों फूलों मा छायों छा आज उल्ल्यार
देली देली सजी वहाली वख नाना नानी भूलों भूलीयों को प्यार ...२

परदेशा की पीड़ा भैजी मी ही जणदू.....२
आंखी रोणी रैंदी कया करण मील आज ..२

कंण बणी बणी वहालो आज मेरु रंगमत पहाड़ा
छबीलो गढ़वाल मेरु ऊ मेरु रंगीलो कुमोओ...२

हेरद दी ईजा की ऊ बाटों थै आंखी को दोई आंसूं
लुके लुकी रूणा व्हाला बेटी- ब्वारी का तांसुं...२

फूलों मा लगी रै माया चैत की
खुद मा लगी वहाली ऊ घुघूती मैत की ..२

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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