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कैल सुचणया आज



कैल सुचणया आज

ज्य्वां कै क्ख्क
क्ख्क रैग्य य्ख मोळ
रयाँ कुच बि निच अबै
कै बाटा ऐणू शोर अ

भीर भार प्सरयुं वख
ये छोरा सबै समा-सुम
गें साबू का सब अबै
कु आणू व्हालू ऐ ओर्र

पाडे रैगे एक ओर्रि
विपदा खैर्री य्ख घनाघोर
खुशाली का बाटों भैठी
अप्रा मुल्की अप्रा ही चोर

योजना कू कल्युं बटयूँ
कगद मा प्रगती रेघ खींची
जिकोड़ी भीतर पौदो ज्म्युं
रैगै बांज कैल सुचणया आज

ज्य्वां कै क्ख्क
क्ख्क रैग्य य्ख मोळ
रयाँ कुच बि निच अबै
कै बाटा ऐणू शोर अ

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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