कैसे कैसे कैसे
देखा खड़ा खड़ा वो लुट गया
मन और मै बस मौन रहा
कैसे कैसे कैसे ........
घर तक वो पड़ोसी घुस गया
हमने ये भी मान लिया
कैसे कैसे कैसे ........
कहा था मैंने उनसे कई बार
सरकार फिर भी रही लाचार
कैसे कैसे कैसे ........
अस्मत रौंदी बीच बाजार
रक्षक ही जब भक्षक बन तैयार
कैसे कैसे कैसे ........
इंसाफ की उठी जब अवाज
आंख पर पट्टी अब भी बरकरार
कैसे कैसे कैसे ........
देश देश भारत देश मेरा
चुपचाप सुन रहा वेदना की चीत्कार
कैसे कैसे कैसे ........
देखा खड़ा खड़ा वो लुट गया
मन और मै बस मौन रहा
कैसे कैसे कैसे ........
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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