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मै गुमनाम
बस गुमनाम पैदा हुआ हूँ
गुमनाम मर मै जाओंगा
कभी रदी के पन्ने पे मुस्कुराऊँगा
उस पल ही मै याद किसी को आऊँगा
अंकुरीत बीज हूँ मै पड़ा अब
फल फुल कंहा देख पाऊँगा
कविता में मै यूँ ही लहलहाऊँगा
नाम नही मै कुछ काम कर जाऊँगा
बस गुमनाम पैदा हुआ हूँ
गुमनाम मर मै जाओंगा
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समझो तो ध्यानी
ना समझो तो बस बहता पानी
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एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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