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तेरे प्रेम में



तेरे प्रेम में

ले चलों तुमको आज मै
पकड़ा कर तुम्हरा हाथ मै
दूर ले जाऊं तुमको तुमसे
आज अपने साथ साथ मै
ले चलों तुमको आज मै ..................

मन मै मची आज द्वंद क्यों
बोल दूंगा अब तुम्हरे सामने
ऐनक से रोज बोला करता हूँ
तुम्हरे समीप आ खोया रहता हूँ
ले चलों तुमको आज मै ..................

कैसा प्रेम है मेरा अकेला सा
फिरता रहता है वो अकेला ही
आँखों में ठीख से झांकता नही
प्रेम है तुम्हे से ऐ भांपता नही
ले चलों तुमको आज मै ..................

अपने से घोला सा रहता हूँ
अपने आप से बोला करता हूँ
भीड़ में रहूँ या फिर मै अकेला
तेरी याद में खोया सा रहता हूँ
ले चलों तुमको आज मै ..................

तेरे प्रेम को संझोया है
तेरे सपनो में ये दिल खोया है
कैसे कह दूँ सारी बातें तुमसे
तुम्हे पाने कितना वो रोया है
ले चलों तुमको आज मै ..................

ले चलों तुमको आज मै
पकड़ा कर तुम्हरा हाथ मै
दूर ले जाऊं तुमको तुमसे
आज अपने साथ साथ मै
ले चलों तुमको आज मै ..................


एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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