तुम साथ मेरे
हम चलें थे
बस दो कदम साथ
लगा ऐसा की
तुम चलोगे उम्रभर
छोड़कर चली
दूर ऐसे कंही दूर मुझसे
रहा ना पाया जुदा
एक पल भी तुझ से दूर
चली दीवानागी मेरी
शब्दों की मेरे कलम से
मेरे पन्नों पर कल्पना की
बन तुम उड़ना भरोगी
रहेगी साथ मेरे सदा
बनकर कविता तुम मेरी
अकेलेपन तनहाई की
तुम सदा साथी मेरी
राहों खोया यादों में तेरे
होकर मै अपने से जुदा
रंग भरों बेरंग रहकर मै
दुनिया का बहता करवां
हम चलें थे
बस दो कदम साथ
लगा ऐसा की
तुम चलोगे उम्रभर
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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