आदम और पत्थर
देख रहा है पत्थर ..२
खड़ा होकर,क्यों पत्थर को आज
देख रहा है पत्थर .......
आदम और पत्थर ...२
आज क्यों एक से लग रहे हैं
देख रहा है पत्थर .......
क्या चली उनमें बात गुपचुप ...२
कोई जाकर पूछे आज
देख रहा है पत्थर .......
कुछ ना बोलेगा,कुछ ना बोल पायेगा ...२
अब यूँ ही निकलेगी वो बात
देख रहा है पत्थर .......
देख रहा है पत्थर ..२
खड़ा होकर,क्यों पत्थर को आज
देख रहा है पत्थर .......
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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