एक गाँव है
एक गाँव है अब भी वो
जो सदियों से इंतजार में तेरी
अब भी रहा तकता है
तू भूल गया होगा शायाद ...२
पर वो टूटे झरोखे से
अब भी दूर तक देखा करता है
टुटा ऐनक धुमील हुआ है वो अब
पर नम वो अब भी रहता है
एक गाँव है अब भी वो
जो सदियों से इंतजार में तेरी
अब भी रहा तकता है
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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