खुद को देखना चाहता हूँ
फिर देखना चाहता हूँ मै
खुद को करीब से फिर एक बार
हाथों में दे दो तुम अपना हाथ
आखें चार कर लो फिर एक बार
फिर देखना चाहता हूँ मै..................
उन नजरों में उन सपनों में
उन अपनों में फिर एक बार
जब प्यार से देखा था तुमने पहली बार
वो प्रेम देखना चाहता हूँ फिर एक बार
फिर देखना चाहता हूँ मै..................
वो अधीर प्रेम का सकून
वो तृष्णा भरी अधरों की प्यास
वो इंतजार वो मेरे लिये बेकरारी
वो तड़प देखना चाहता हूँ फिर एक बार
फिर देखना चाहता हूँ मै..................
उस पल में मै फिर जीना चाहता हूँ
उस पल को फिर मै पाना चाहता हूँ
इस जन्म नही सात जन्म तक
मै बस सथा तुम्हरा चाहता हूँ फिर एक बार
फिर देखना चाहता हूँ मै..................
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ