आओं मिल कर
आओं मिल कर गायें
धुन से धुन मिलायें
एक नया आचार हो
एक नया लहू का संचार हो
हिन्दुस्थान को
हम एक नया आकार दिलायें
तीन रंगों में समाये
झिलमिल झिलमिलायें
बंधी डोर संग
हम एक होकर लहलहायें
धर्म सत्य शांती पथ पर
हम मिलकर पग बड़ायें
आओं मिल कर गायें
धुन से धुन मिलायें
एक नया आचार हो
एक नया लहू का संचार हो
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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