यूँ ही हँसते ही रहना
यूँ ही हँसते ही रहना तुम
अच्छी नही लगती तुम रोते हुये
यूँ ही हँसते ही रहना तुम ...............
अश्क तो आँख के मोती हैं
क्या मिलेगा तुमको व्यर्थ बहते हुये
यूँ ही हँसते ही रहना तुम ...............
शिकवा और गिला प्रेम की ही रीत है
गर वो ना हो प्रेम में रह जाये बस रुखा सुखा
यूँ ही हँसते ही रहना तुम ...............
रूठो तुम रूठना तुम्हारा हक है
मनाने प्रेम आये मान जाओ करो ना उसे रुसवा
यूँ ही हँसते ही रहना तुम ...............
तुम रोती रहोगी प्रेम गुल मुरझा जायेगा
फिर मुश्किल की वो खिले की नही
यूँ ही हँसते ही रहना तुम ...............
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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