सब दिन एक णी हुन्द
सबू का दिन एक सा णी हुन्द
सबू की राती एक सी णी ओंदी
कू उठा जांदू फजल फजल
कैकु सुबैर दोपहरी मा हुन्दी
सबू का दिन एक सा णी हुन्द …………….
सबका हाथ पाञ्च ऊँगली हुन्दी
पर वीं एक दुसैर की कबै सीखै सैरी णी करदा
विपदा की घड़ी ऐ कैमा भी
वै वेली वो कबै दागे गीरी णी करदा
सबू का दिन एक सा णी हुन्द …………….
दोपहरी का तपता घाम बाटों मा कु छे जाणू
वै ही बाटा मा डाला तल कू बैठू वहालू सुस्ताणू
सबै मिल जांदू सबै का सबै त
संसारु का बाटू कंण कै माय्ल्दु बणदू
सबू का दिन एक सा णी हुन्द …………….
ब्योखनी कू घाम जबै सैलू व्है जांदू
राती मा जैकी वो मिसली की जांदू
कै कू आंदी नींदी टपोरीकी की
कै की चिंता मा नींदी हर्ची जांदी
सबू का दिन एक सा णी हुन्द …………….
दिन साल ईणी बीती जाला
एक जाणू कू बाद दुसरू बगत आलू
चक्र च रै ये त तेरु जीवन कू
फूलों त देखा और्री हँसदी जावा
सबू का दिन एक सा णी हुन्द …………….
सबू का दिन एक सा णी हुन्द
सबू की राती एक सी णी ओंदी
कू उठा जांदू फजल फजल
कैकु सुबैर दोपहरी मा हुन्दी
सबू का दिन एक सा णी हुन्द …………….
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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