मेरा पहाड़
कभी पत्थरों ने मारा
कभी पानी ने बहाया
कभी पत्थरों ने मारा ..............
फिर भी ये मेर जीवन
मैंने इन पहाड़ों में बिताया
कभी पत्थरों ने मारा ..............
प्रेम है मुझ को इनसे
इस ने ही दिया हमे सहारा
कभी पत्थरों ने मार ..............
फूलों की तरहं हंसाया
काँटों में उसने हमे खिलाया
कभी पत्थरों ने मारा ..............
काठनाईयों से उस ने हरदम
हमें उभरना सिखाया
कभी पत्थरों ने मारा ..............
जान मेरा जिस्म में है वो
वो ही है मेरा रहबर
कभी पत्थरों ने मारा ..............
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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