कभी ना नही कहना
मै बह गया उन राहों में
ऐसे जाना वंहा सोचा ना था
कभी याद आये तो चले आना
खिलूँगा मै उन्ही फिजाओं में
कभी ना नही कहना ................
था मेरा अंत लिखा था वंही
मोक्ष मीला मुझे उन धाराओं में
हुआ सब कुछ मेरे साथ ऐसै
सकूंन से अब हूँ मै उन किनारों पे
कभी ना नही कहना ................
मिल गया हूँ तो अग्नी दे दो
ना मीला तू वंही दफन रहने दो
ना करो अब मेरे जाने का गम
इतनी तो अब मुझे खुशी दे दो
कभी ना नही कहना ................
मिला हूँ उस पावन धरती पे
इस देवभूमी तुम बदनाम ना करो
सच्ची तुम्हरी आस्था है तो
फिर यंहा आने से तुम ना ना करो
कभी ना नही कहना ................
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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