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पल था गुजर गया


पल था गुजर गया

पल था गुजर गया
प्राण था प्राण से निकल गया
कसमे वादे को झूठला गया
मसीहा से प्रेम करने वाले
अग्नी को सुपर्द हो गया

पल था गुजर गया
वो आँखों को नम सा कर गया
पर्दे पर खारा खारा सा लगा वो
मीठा उसका जीवन रहा

पल था गुजर गया
हम बोलेगा तू बोलोगे रह गया
यार था वो यारों वाला
वो शेरखान आखरी दहाड़ गया

पल था गुजर गया
पूरब पश्चिम एक कर गया
विक्टोरिया का हीरा फिर खो गया
९३ साल सफर सो गया

पल था गुजर गया
ठीक भाई ठीक कर गया
हमारे यादों बस यादें रह गयी
वो जाने कंहा चला गया

पल था गुजर गया
प्राण था प्राण से निकल गया
कसमे वादे को झूठला गया
मसीहा से प्रेम करने वाले
अग्नी को सुपर्द हो गया

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
बालकृष्ण डी ध्यानी
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