तेरु माटू
तेरु माटू
....कैल खदेण
कया तिल खतेण
कया तिल लगेंण
तेरु माटू
....कैल खदेण...................
दोई घड़ी बेल
आज तेरी च
बाटों मा गुऱा
कि लगी फेरी च
तेरु माटू
....कैल खदेण...................
कै काल ऐ
झंण कै बेली
पीड़ा छुट गै
आज सबैरी सबैरी
तेरु माटू
....कैल खदेण...................
रुण झुणु रैगे
तू झुण झुण रैगे
खेल तिन ईनी खिंडी
अब कीलै रुणु रैगे
तेरु माटू
....कैल खदेण...................
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ