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तू घुघूती मेर पहाड़े की


तू घुघूती मेर पहाड़े की

जीयु नी लगदु हे केदार
घुघूती क्ख्क जाणी छे तू
तिल नी जाण हे सखी हे छुची
छोऊडी की ये पहाड़
तू घुघूती मेर पहाड़े की ............

बोगी गै कैलास कू गाम
गंगोत्री हिमकुंड कू धाम
हे बुरंसा हे पिंगली प्योंली,बथो दे
कै घड़ी ऊठी बाबा की डोली

जीयु नी लगदु हे केदार
घुघूती क्ख्क जाणी छे तू
तिल नी जाण हे सखी हे छुची
छोऊडी की ये पहाड़
तू घुघूती मेर पहाड़े की ............

तिल घुर घुर कै व्हाली
यख वख अकास मा तू उड़े व्हाली
द्यै तिल दी व्हाली घुघूती
बगता नी तेर नी सुणे व्हाली

जीयु नी लगदु हे केदार
घुघूती क्ख्क जाणी छे तू
तिल नी जाण हे सखी हे छुची
छोऊडी की ये पहाड़
तू घुघूती मेर पहाड़े की ............

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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