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बैठ्युं छों परदेश मा


बैठ्युं छों परदेश मा

बैठ्युं छों परदेश मा
खुद ल्गणी च म्यार देश की
कंण व्हाला वो कया खाल वो
अब कया करणा व्हाला वो
बैठ्युं छों परदेश मा...............

धीर देणु वहालू ,बी कुई निच
बोई मेरी वख यकुली च
ईं विपदा ईं पीड़ा मा
कंण के गुजरी करणी वहाली वो
बैठ्युं छों परदेश मा...............

आंसूं का रेघा ना थम दा थ्मेंदा
ई कलजी मा रेघ कंण खिचैन्दा
रूंणु छों ऊमाल उकेरणा कुण
अपरी मजबूरी रेघा पूस ना कुण
बैठ्युं छों परदेश मा...............

देबात म्यारा अब तुम्ही छन
बद्री-केदरा तेरा दरसाणा कु मील ऐण
बाट अपरा खुल दयां ये विपदा थे हेरदायां
सब थे सफल सुफल कुशल राख्यां
बैठ्युं छों परदेश मा...............

बैठ्युं छों परदेश मा
खुद ल्गणी च म्यार देश की
कंण व्हाला वो कया खाल वो
अब कया करणा व्हाला वो
बैठ्युं छों परदेश मा...............

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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