जो लिखा था
गीत मैंने जो लिखा था
वो अधूरा रह गया
अफसाना जिंदगी
यूँ ही गुजर गया
गीत मैंने जो लिखा था ....
गुन गुनाता ही रहा
अकेला यूँ ही उम्र भर
दिल और दर्द यूँ ही नाचता रहा
सरगम की ताल पर
गीत मैंने जो लिखा था ....
गम के लहमों में
दिल है पुकारता ही रहा
गाता रहा खुशी में
अस्कों को बहता रहा
गीत मैंने जो लिखा था ....
गीत मैंने जो लिखा था
वो अधूरा रह गया
अफसाना जिंदगी
यूँ ही गुजर गया
गीत मैंने जो लिखा था ....
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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