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वो याद दिला गया


वो याद दिला गया

बेजुबान अं....... है....... ये समा ..२
ना कोई चार दिवारी है ना कोई यंहा
बेजुबान अं....... है....... ये समा ..२

सैलाब .....ही बोला था बंद ...सब उसने तोड़ा था
अश्कों को भी ना छोड़ा उसने ,घायल किया
बेजुबान अं....... है....... ये समा ..२

कुदरत का कहर कह दो ,अपनों का थोड़ा दर्द सह लो
जो ...अपनों ने ही दिया था,खुदी से जब उसने खेला था
बेजुबान अं....... है....... ये समा ..२

देखा ना दिखा कोई ,मुसीबत में अपना लगा हर कोई
इंसान इसी इंसानियत को भुला , वो याद दिला गया
बेजुबान अं....... है....... ये समा ..२

बेजुबान अं....... है....... ये समा ..२
ना कोई चार दिवारी है ना कोई यंहा
बेजुबान अं....... है....... ये समा ..२

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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