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कय सोचणू छे..ये जीयु


कय सोचणू छे..ये जीयु

कय सोचणू छे
ये जीयु तू कया सोचणू छे

बैठ्युं बैठ्युं तू
कख क्ख्क उड़णू छे
ये जीयु तू कया सोचणू छे..........

ये पाल यख् दुजू पाल क्ख्क
ये खुठों थे तू कख क्ख्क धरणू छे
ये जीयु तू कया सोचणू छे……….

कबै चुप व्है जंदु कबै तू छुंई ल्ग्न्दु
कबै कै दगडी माया ल्गै की तू बौल्या जंद
ये जीयु तू कया सोचणू छे……….

हैंसी की कब कब रुलै की जंद
ये जीयु कया च इण तैम तू झट बिसरी जंद
ये जीयु तू कया सोचणू छे……….

ये जीयु नी बणाई ये जीयु नी बिगाड़ी
जीयु मोरिकी बी जीयुंदु ही रहाई
ये जीयु तू कया सोचणू छे……….

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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