ये जीवन मेरु
ये जीबन मेरु
ईणी ग्याई ....२
कैमा और्री कख मा
मील णी कमै णी खै पाई
ये जीबन मेरु
ईणी ग्याई ....
दरा मंदरा छोड़ी
घार दार
छोड़यूँ उत्तराखंड
मेरु पहाड़
छोडी की यूँ थे..२
मिल कख णी सुख पाई
ये जीबन मेरु
ईणी ग्याई ....
झुरेंदु रैंदु आर पार
खुदेंदु रैंदु वै पार
कबै घुगुती थे बौलेंदू
कबै बुराँस दगडी बचेंदु
यखुली गीत
मी माया का ल्गेंदु
खुद थे मी ईणी बथोंदी रेंदु
ये जीबन मेरु
ईणी ग्याई ....
बीराणू मुलूक
अंजाणू मी वैमा
कैथे धैये लगाण
कैल यख आण मै मा
सोर सारु गयुं
मेरु बस तैम
मेर सोंजडया
ये जीबन मेरु
ईणी ग्याई ....
ये जीबन मेरु
ईणी ग्याई ....२
कैमा और्री कख मा
मील णी कमै णी खै पाई
ये जीबन मेरु
ईणी ग्याई ....
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ