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मेर बोई


मेर बोई

तेरु मुख देखी कि
सुख बौडी अंद
तेर खूटी पौडी कि
दुःख रौड़ी जंद

हे बोई मेर बोई
तू यखुली बैठ ना रोई
छोड़ छाड़ी की सब
लौट आणू छों
मी ये पहाड़ .............

तू छे मेरु देब्तों को थान
ईस्ट देबता तै थे मेरु प्रणाम
मी थै तेर आंखी मा ही देखे जंद
बद्री-केदार कू ये धाम

हे बोई मेर बोई
तू यखुली बैठ ना रोई
छोड़ छाड़ी की सब
लौट आणू छों
मी ये पहाड़ .............

तू छे मेरु भाग
मेरु तू मुल्क गौं गौठ्यार
हरा भरा डंडा तू माँ
उकाल उंदरा बाटा तू माँ

हे बोई मेर बोई
तू यखुली बैठ ना रोई
छोड़ छाड़ी की सब
लौट आणू छों
मी ये पहाड़ .............

बुरंस प्योंली जनी
माँ की ईं फुलारी
घुघूती बासूती बोई अब
मै दगडी कैहणी लगाणी

हे बोई मेर बोई
तू यखुली बैठ ना रोई
छोड़ छाड़ी की सब
लौट आणू छों
मी ये पहाड़ .............

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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