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थोड़ा अब भी


थोड़ा अब भी

थोड़ा
अब भी बाकी है
जिंदगी
जो भागती है
थोड़ा
अब भी बाकी है ……२

रह ही जाता है
कुछ ना कुछ
छुट ही जाता है
पा कर सब कुछ
थोड़ा
अब भी बाकी है ……२

कसक है की
चुबते रहते है
सकुन मिल जाता है
पर अश्क रह जाता है
थोड़ा
अब भी बाकी है ……२

गिरते पड़ते
उठ कर वो चलती
जब संभल जाती है
तब ही टूट जाती है
थोड़ा
अब भी बाकी है ……२

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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