आ ही जाती हो तुम
आ ही जाती हो तुम
रातों में
मद भरी रातों के ख्वाबों में
आ ही जाती हो तुम
रातों में …….
नींद में ही सही …२
आ ही जाती हो तुम
चलकर मेरी पलकों
की राहों में
आ ही जाती हो तुम
रातों में …….
ख्वाब में ही सही ….२
पास आकर ले जाती हो तुम
मुझको अपनी बाँहों में
इन दो निगाहों से
आ ही जाती हो तुम
रातों में …….३
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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