मेरा दिल
तू तो मेरी धडकन में है
सासों की हलचल में है
आंखों के दर्पण में है
नसों के कण कण में है
टूट हुआ बादल हूँ मै
आवारा वो तुम्हरा आँचल हूँ मै
वर्षा की बूंदा बंदी हूँ मै
तुम्हारा ही आशिक हूँ मै
तू मेरी निगाहों में है
दो बाँहों के बाजू में है
पुकार लों .....२ तुम मुझे
तुम्हरे ही सीने में हूँ मै
पलकों का काजल हूँ मै
चूड़ियों की खन-खन हूँ मै
तू घुली इस तरहं मुझमे
तुम्हरा ही साजन हूँ मै
तू तो मेरी धडकन में है
सासों की हलचल में है
आंखों के दर्पण में है
नसों के कण कण में है
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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