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वो नही मिला


वो नही मिला

किसी की तलाश में निकला ,वो नही मिला
दरबदर भटकता फिरा , वो नही मिला
किसी की तलाश में निकला था ,वो नही मिला

आँखों के आंसूं आँखों से गिरा , वो नही मिला
दूर तक फ़ैल वो नीला आसमान .वो नही मिला
किसी की तलाश में निकला था ,वो नही मिला

रेत पर कुछ देर चले क़दमों के निशान , वो नही मिला
पल पल साथ साथ चला वो पल ,वो नही मिला
किसी की तलाश में निकला था ,वो नही मिला

रह जाती हैं बस यांदे साथ ,वो नही मिला
रूह की रुह से होती है बस बात ,वो नही मिला
किसी की तलाश में निकला था ,वो नही मिला

किसी की तलाश में निकला ,वो नही मिला
दरबदर भटकता फिरा , वो नही मिला
किसी की तलाश में निकला था ,वो नही मिला

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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