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हम और तुम


हम और तुम

कुछ मेरी सुनो
कुछ तुम अपनी करो
ये जीवन
यूँ ही चला जायेगा l

मै कांटे चुनों
तुम गुल सी मिलती रहो
अपना मधुबन खिल जायेगा
ये जीवन
यूँ ही चला जायेगा l

नदी के छोर है हम
एक दूजे की ओर हैं हम
कल कल संग संग यूँ बहते चलो
ये जीवन
यूँ ही चला जायेगा l

मै बादल हूँ
तुम मेरा आकाश हो
संग तुम्हरे मै उड़ता फिरूं
ये जीवन
यूँ ही चला जायेगा l

रित हो तुम
मेरी प्रीत हो तुम
इस जीवन का संगीत हो तुम
ये जीवन
यूँ ही चला जायेगा l

कुछ मेरी सुनो
कुछ तुम अपनी करो
ये जीवन
यूँ ही चला जायेगा ल

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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