ना उकाल
ना उकाल हिट दी अब
ना उन्दारू दौड़ी दी
जख बी छे बेटा
ऐ जा घार बौडी की
ना उकाल हिट दी अब
ना उन्दारू दौड़ी दी………………
रैगे दोई चार दींण
जो बाकी जिन्दगी का
देखी लुन्ल जी भोरीकी
भूकी तेरी पीलूं
ना उकाल हिट दी अब
ना उन्दारू दौड़ी दी
जख बी छे बेटा
ऐ जा घार बौडी की ………………
आंखी नी देखेणी
भुरला सा पड़गेणी
सब साथ छोड़ीकी सखा चल गैनी
तेर बाबा जी की भुत खुद आणी
ना उकाल हिट दी अब
ना उन्दारू दौड़ी दी
जख बी छे बेटा
ऐ जा घार बौडी की ………………
पिचकू सरेल
कै जाणी कब बेल ये जैल
लकडू टेक की
अब नी हुणू च्लेंद
ना उकाल हिट दी अब
ना उन्दारू दौड़ी दी
जख बी छे बेटा
ऐ जा घार बौडी की ………………
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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