एक गजल
एक गजल ऐसी होगी
वो बिलकुल तेरे जैसी होगी
स्त्री के नाजुक अंगों में
सौन्दर्य से ओढ़े वो छवी होगी
एक गजल ऐसी होगी
वो बिलकुल तेरे जैसी होगी
मेरे प्रेम का वर्णन ऐसा होगा
राधा का श्याम से मिलन जैसा होगा
एक गजल ऐसी होगी
वो बिलकुल तेरे जैसी होगी
अतृप्त असन्तोषी हम रह जाते
दीदार गर तेरा ना इन आँखों को पाते
एक गजल ऐसी होगी
वो बिलकुल तेरे जैसी होगी
तू मदिरा है चंचल है
तू गंगा के धारा की तरह अविरल है
एक गजल ऐसी होगी
वो बिलकुल तेरे जैसी होगी
प्रेम मेर ये प्यास है
तुम जातक पक्षी की जलधारा है
एक गजल ऐसी होगी
वो बिलकुल तेरे जैसी होगी
स्त्री के नाजुक अंगों में
सौन्दर्य से ओढ़े वो छवी होगी
एक गजल ऐसी होगी
वो बिलकुल तेरे जैसी होगी
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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