परदेशी उत्तराखंड
एक अजाण प्रीत च
छुटी गे जो अपरों से ऊ क्ख्क रित च
परदेश बाटों मा हिट दा हिट दा दिधू
बस बड़ी वा मुल्का कि तिस च
एक अजाण प्रीत च……….
तस्बीर मा अपरों कि भूकी पींदा पींदा
दंडों धारों बाण अपरा मनखी म्ल्स्दा
आना व्हाला खुद दौड़ी बिता दिनाकि
वीं खुदा दगडी लेकि य्क्ली जिणा व्हाला
एक अजाण प्रीत च……….
आंखी कू वो पाणी अब दा बरसी
बाबा बोई कि जबैर जबैर मुखडी झ्लकी
जी बान जीयूं व्हालो इन तरसालू
बाल बच्चों बाण क्ल्जी व्हाली झुरनी
एक अजाण प्रीत च……….
माया का दगडया का फेरा छिन
घर गौंऊँ भतिक दूर यूँ का डेरा छिन
उड्या सरगा मा वै समुद्र पार
वै बी त मेरा गढ़ देशा का छिन
एक अजाण प्रीत च
छुटी गे जो अपरों से ऊ क्ख्क रित च
परदेश बाटों मा हिट दा हिट दा दिधू
बस बड़ी वा मुल्का कि तिस च
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ