मेरा खाली पन्ना
आपने भावों को बाँधना नही चाहता
बीच राह पर उन्हें भी मै छोड़ना नही चाहता
मोड़ आये तो मोड़ लूंगा उनको भी
सुंदर स्वप्न देख रहा हूँ उस कल्पना को तोड़ नही सकता
सोचा था खुद सो कर मै तुम्हे जगाऊंगा
इस बार खाली पन्ने मेरे तुझ पर मै कुछ लिख जाऊंगा
कितनी सांसे बर्बाद की तुझे आबाद करने में मैंने
ये गजल ये कविता ये छंद मेरे मै तुम बिन कैसे रहा पाऊंगा
कुछा ना दे सका ये पुष्प और ना कुछ मीला तुझको मुझसे
काँटों पर खिलाकर भी हंसा हैं तू पुष्प तुझको मै ना भूल पाऊंगा
दर्द कसक तड़प भी देखी इन आँखों में भीगे भीगे
पर मेरा वादा तुझसे ये दोस्त मेरे तेरा चेहरा हंसता छोड़ जाऊंगा
याद रखने के काबिल मै बिलकुल ही नही हूँ
पर कभी ना कभी तुम्हरे होंटों पर आकर गुनगुनाऊंगा
दुआ है मेरी तू सलामत रहे जैसे सलामत है ये गगन
मग्न रहे फूलों सा सदैव खिलता हंसता रहे मेरा ये चमन
लेखनी की अविरल बहती है धारा जो कोई लिख जायेगा
जो सोते सोते देखा था मैंने स्वप्न तब जाकर पूरा हो जायेगा
आपने भावों को बाँधना नही चाहता
बीच राह पर उन्हें भी मै छोड़ना नही चाहता
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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