हरी आये मेरे घर
नाम ना जपों हरी का
करों मै अपने सारे काम
नाम ना जपों हरी का ...............
नाम नाम में क्या रखा
पल में अब होता वो बदनाम
नाम ना जपों हरी का ...............
सूरज को अब ना देखों
रातों तक बस करों मै मेरा काम
नाम ना जपों हरी का ……………
ना झुकता सर किस पग मै
मुझ को है इसका अभिमान
नाम ना जपों हरी का ...............
एक बार हरी मिलने आये
बोल बैठे मुझे तुझ से है काम
नाम ना जपों हरी का ……………
मैंने कहा मै नास्तिक हूँ
क्या पड़ा मिलेंगे आपको मेरे धाम
नाम ना जपों हरी का ……………
हरी मुस्कुराये देख मुझे कहे
कोई जग में जो करे मेरा काम
नाम ना जपों हरी का ……………
आया हूँ मै तेरे दर पे
कुछ तो है तुझ में सबसे अलग बात
नाम ना जपों हरी का ……………
सबकी मांगे पुरी कर थक जाता
एक तू ही जो कुछ नही मांगता
नाम ना जपों हरी का ……………
कितना पुण्य तो कामता
मुझको थोड़ा आराम दे जाता
नाम ना जपों हरी का ……………
नाम ना जपों हरी का
करों मै अपने सारे काम
नाम ना जपों हरी का ...............
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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