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मेरु नी रयो


मेरु नी रयो

मन मेरु …मेरु
मेरु नी रयो………….२
कंन निस्ठोर
प्रीत तिळ इनी ल्ग्यु
मन मेरु …मेरु
मेरु नी रयो………….२

इत्गा बरस बिती
बिती कि य्खुली ग्यु …….२
स्वामी जी ना ऐई
ना ऐई चिठ्ठी ना खबर क्वी अयु
मन मेरु …मेरु
मेरु नी रयो………….२

कया कंना व्हाला
कया खांणा व्हाला …….२
स्वमी जी कबी कबी
मी थे याद त कंना व्हाला
मन मेरु …मेरु
मेरु नी रयो………….२

झुर झुर मेरु दिन
ईं जिकोड़ी झुरे स्वामी …….२
रुंदा रुंदा तेरु खुद
स्वामी राती भर रुलै
मन मेरु …मेरु
मेरु नी रयो………….२

मन मेरु …मेरु
मेरु नी रयो………….२
कंन निस्ठोर
प्रीत तिळ इनी ल्ग्यु
मन मेरु …मेरु
मेरु नी रयो………….२


एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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