वा प्रीत मेरी
एकली प्रीत मेरी
क्ख्क जाणी हुली
क्ख्क अ अ अ जाणी हु हु अ हुली
एकली प्रीत मेरी
क्ख्क जाणी हुली …………
हात मा दाती लेकी
मुंडमा फुल पाती सजै कि
क्ख्क जाणी हुली
वा एकली प्रीत मेरी …………
ऐ डाळ काबी त वै पल छळ
ऐ धारा कबी त गौंऊं बजार
दीखे ही जंद वा
दूर भ्तेक पछण ही जंद वा
एकली प्रीत मेरी
क्ख्क जाणी हुली …………
कबी छुंईं मीसै जंद वा
कबी में दगडी रुसै जंद
भली लगदी मीथे वा
मी मणलू झट मणे जंद
सुदी सुदी रुसै कि
क्ख्क जाणी हुली
वा एकली प्रीत मेरी …………
माय छा मेरी वा प्रीत मेरी
ते बाण रचे मिल ये गित मेरा
छुची ना जा ना ईणी ना दूर जा
ऐजा ऐजा मेर म्याल्दी
मेर ईं जिकोड़ी मा ऐजा
क्ख्क जाणी हुली
वा एकली प्रीत मेरी …………
एकली प्रीत मेरी
क्ख्क जाणी हुली
क्ख्क अ अ अ जाणी हु हु अ हुली
एकली प्रीत मेरी
क्ख्क जाणी हुली …………
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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