मेरे दुखड़े
अनजान हूँ मै खुद से
आज मै इतना परेशान हूँ
ना किसी को मैंने दी दुआ
ना मिला मुझे मेरा खुदा
अनजान हूँ मै खुद से
आज मै इतना परेशान हूँ ……
बेखबर सा फिरता मारा
मै यंहा वंहा आज हूँ
अनाड़ी, बेसुध, मूर्ख कहे
लोग मुझे सरेआम है
अनजान हूँ मै खुद से
आज मै इतना परेशान हूँ ……
अनोखा नमुना बना बैठा
मै बीच बाजार आज हूँ
खुद की पहचान के लिये
दूसरों पर आज मोहताज हूँ
अनजान हूँ मै खुद से
आज मै इतना परेशान हूँ ……
अपरिचित है क्या मेर बर्ताव
किस को पता चले मुझको बताओ
कोई तू आके मुझको समझाओ
वफ़ा की रहा मुझे दिखाओ
अनजान हूँ मै खुद से
आज मै इतना परेशान हूँ ……
नूर मौहब्बत का टपका
वो मेरे हाथों से ही क्यों खिसका
अस्त व्यस्त हैं कपडे मेरे
टूटे दिल के ये मेरे दुखड़े
अनजान हूँ मै खुद से
आज मै इतना परेशान हूँ ……
अनजान हूँ मै खुद से
आज मै इतना परेशान हूँ
ना किसी को मैंने दी दुआ
ना मिला मुझे मेरा खुदा
अनजान हूँ मै खुद से
आज मै इतना परेशान हूँ ……
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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