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मी तेरु सहर छोड़ी कू



मी तेरु सहर छोड़ी कू

मी तेरु सहर छोड़ी कू.... अ
पाड़ पाड़ अ अ जाणू छों

परायूँ थे छोड़ी कि
अब अपरूं कू पास पास जाणू छों
मी तेरु सहर छोड़ी कू.............

जीयु नी लगी मेरु यख
सजा मील पाये अपरी नजर मा
धोखा मील खाये यख अब ये धोखा छोड़ी कि जाणू छों मी
मी तेरु सहर छोड़ी कू………….

क्वी नी यख कैका क्वी
टाक्का यख अब बस बोल्दा छुंईं
ई झूठी छुंईं छोड़ी कि मी पाड़ जाणू छों मी
मी तेरु सहर छोड़ी कू………….

परै अखैर परै ही हुंदा
बात ई समझी मिल यख
जिकोड़ी मारी गेड अब व्ख खोली जाणू छों मी
मी तेरु सहर छोड़ी कू………….

मी तेरु सहर छोड़ी कू.... अ
पाड़ पाड़ अ अ जाणू छों

परायूँ थे छोड़ी कि
अब अपरूं कू पास पास जाणू छों
मी तेरु सहर छोड़ी कू.............

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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