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उकाली उन्दरु हरेल मा


उकाली उन्दरु हरेल मा

उकाली उन्दरु हरेल मा
डंडा कंडा चौट्की हरेल मा
सुंदर ते तारु मा पंच भूमि जुन्याली हरेल मा
हिमाल का बिशाल छाती हरु मा

जख जख जाण छों तुमी
मी छाला बनी पछे रहण छों
कि माथा कि डंडा ईं रौला हरू मा
ग्दनी बाणे मी बगे रहण छों
उकाली उन्दरु हरेल मा……….

तराई कू हरेला बाट मा
पाड़ कु तरली हरुमा……….२
हिमाल का सुंदर अनी बिकट ते
बस्ती बस्ती हरुमा
जख जख जाण छों तुमी
मी बाटों बणी दगडे आणु छों
ति सुस्त रात थकेल सु निंदी हरुमा
गीत बणी गूंजे रहण छों
उकाली उन्दरु हरेल मा……….

मौत मरनु जनी जडू हरुमा
कपाल दुखने गरमी हरुमा ……….२
मान हरने ते सुंदर दिर्षया
शांत शीतल वातावरण मा
जख जख जाण छों तुमी
मी आकाश बणी देखी रहन छों
कि धरा की डाला आणी पखा बणी हरुमा
मी पवन बणी भेंटी रहण छों
उकाली उन्दरु हरेल मा……….

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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